देश में पहली बार हाथियों की गणना डीएनए सैंपल द्वारा कराई जा रही है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने देश के सभी अभयारण्यों में इस गणना के काम को पूरा किया है। बताया जा रहे की हाथी के गोबर से डीएनए सैंपल लेकर कैमरा ट्रैप का प्रयोग गणना के लिए किया गया है।
जिसके बाद गणना की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है। इसे जल्द केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जारी करेगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान में 34वें वार्षिक शोध कार्यशाला में निदेशक वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि वन्यजीव संस्थान लगातार हाथियों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है। इनकी सही संख्या पता लगाने के लिए पूरे देश में डीएनए आधारित गणना कराई गई है।
प्रोजेक्ट एलीफेंट के 30 वर्ष पूरे होने पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने हाथियों के संरक्षण के मद्देनजर हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग की घोषणा की। वर्ष 2017 में हाथियों की संख्या 29, 964 दर्ज की गई थी। अब डीएनए आधारित गणना में पहले बेसलाइन सर्वे हुआ फिर गोबर का सैंपल लिया गया। कैमरा ट्रैप से हाथियों की संख्या का पता लगाया गया। डीएनए प्रोफाइलिंग में हाथियों की प्रजाति और उनकी उम्र साथ ही उसके बारे में कई अन्य जानकारियां भी दी गई हैं।
प्रोफाइलिंग से सभी हाथियों की जानकारी जुटाई जा सकेगी। इसके साथ ही हाथियों की तस्करी को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी।