विरासत महोत्सव के मंच पर कथक उस्ताद पंडित बिरजू महाराज की पोती शिंजिनी कुलकर्णी ने अपनी प्रस्तुति से समा बांध दिया। शास्त्रीय संगीत को सुनने और नृत्य को देखने वाले लोग काफी तहजीब वाले होते हैं। शास्त्रीय संगीत और नृत्य एक ऐसी चीज है जिसे सुनना, समझना और सीखना आपको एक शालीन व्यक्ति बना देता है और तहजीब सिखाता है।
कथक उस्ताद पंडित बिरजू महाराज की पोती शिंजिनी कुलकर्णी ने चार साल से भी कम उम्र में ही कथक का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। घर में ऐसा माहौल रहा कि उस समय से शुरू हुई ट्रेनिंग से आज शिंजिनी ने एक मुकाम हासिल कर लिया। कथक नृत्यांगना शिंजिनी कुलकर्णी ने कहा, आज के समय में कथक के क्षेत्र में काफी अविष्कार, प्रयोग हो रहे हैं। इसके चलते आने वाले समय में इन सभी कथाओं को एक नया मोड़ मिलेगा।
शिंजिनी ने देश के साथ विदेशों में भी कथक की प्रस्तुति से देश का मान बढ़ाया है। वह अमेरिका, ब्रिटेन, कनाड़ा, दुबई, बैंकॉक समेत कई अन्य देशों में 350 से अधिक कार्यक्रम में प्रतिभाग कर चुकी हैं।