रायपुर प्रखंड के पर्वतीय गांव में सैकड़ों बीघा धान की फसल पत्ती लपेटक किट द्वारा बर्बाद हो रही है। कृषि विभाग से मिलने वाली दवा भी इस रोग को रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है। किट से परेशान किसानो ने मुआवजा देने की मांग की है।
डोईवाला विधानसभा के अंतर्गत रायपुर प्रखंड की ग्राम पंचायत ग्राम कोटी मयचक, थानो, सीरियो, चौकियो, घंडोल, कुड़ियाल, तलाई, रामनगर डांडा आदि तमाम गांव में धान की फसल इस कीट के आने से काली पड़कर पूरी तरह से सूख रही है। जोकि पराली के रूप में पशु चारे के रूप में भी काम आने लायक नहीं रह जाएगी। इस रोग के फैलने की तीव्रता इतनी तेज है कि अगर जल्द इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह तमाम दलहन व अन्य फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा। जिससे कि किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
रायपुर के सहायक कृषि अधिकारी विजेंद्र सिंह नेगी के अनुसार, यह रोग पत्ती लपेटक कीट के चलते आया है। यह कीट अपना लार्वा पौधे पर छोड़ देता है, जो बाद में तितली बन जाता है। इसमें शुरू में पत्ते में सफेद चकते आ जाते हैं, जिसके बाद हरी पत्तियां सफेद होने लगती हैं। वहीं वर्षा हो जाने पर यह पूरी तरह से काली पड़ जाती है।
ढकरानी कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ संजय राठी के अनुसार, इस रोग की पूर्ण चपेट में आ गई फसल को बचाना नामुमकिन है लेकिन, जो अभी हल्की प्रभावित हुई है। उसमें जरूरी दवा का छिड़काव कर बचाया जा सकता है।