प्रदेश के निजी महाविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के हिसाब से प्रोफेशनल कोर्स की फीस तय नहीं हो पा रही है। हालांकि, इसके लिए सरकार ने प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति गठित की है, जिसके बावजूद भी पिछले तीन साल से यह फीस रिवाइज नहीं हुई है ।
नियामक समिति के नोडल अधिकारी एएस उनियाल के मुताबिक जल्द इस संबंध में बैठक कर कोई निर्णय लिया जाएगा। प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में समान आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं, यही वजह है कि कम सुविधाओं वाले कालेज अधिक फीस ले रहे हैं। निजी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के अनुसार कुछ महाविद्यालयों में तय मानक के हिसाब से फीस तय होनी चाहिए थी, लेकिन इसके लिए गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति इस दिशा में कुछ नहीं कर पा रही है।
यही वजह है कि पिछले तीन साल से प्रोफेशनल कोर्स बीएड, एलएलबी, एमबीए, बीटेक, मेडिकल आदि की फीस रिवाइज नहीं हुई, जबकि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियामक समिति में अध्यक्ष का पद पूर्व में खाली होने एवं कुछ अन्य वजहों से फीस रिवाइज नहीं हो पाई है।
उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों के मुताबिक, फीस निर्धारण को लेकर समिति के पास सब कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ पा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि सीए का एक ही पद है। कम से कम पांच सीए का पैनल बने इसके लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाने की तैयारी है।