रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआईटी के सामने अब पुराने स्टांप पेपर के स्रोत पता लगाना चुनौती बना हुआ है। माना जा रहा है कि इस फर्जीवाड़े के लिए 30 से 50 साल पुराने स्टांप पेपर को ब्लैक मार्केट से खरीदे गए है।
ऐसे में यदि पुलिस की जांच सभी दिशा में चली तो इस बड़े घोटाले का भी पर्दाफाश हो सकता है। दरअसल, ज्यादातर रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा 2019 से 2021 के बीच किया गया है। जिसके लिए मूल दस्तावेज को नष्ट कर दिया गया है और इसके स्थान पर 30 से 50 साल पुराने स्टांप को लगाकर नए कागजात बना दिए गए है।
पुलिस जांच में अब तक 1970 से 1990 के बीच प्रचलन में रहे स्टांप का इस्तेमाल होना पाया गया है। इनमें से बहुत से स्टांप वास्तव में 50 साल पुराने ही लग रहे हैं। समय के साथ उनके रंग और छपाई में भी अंतर आ गया है। इतने पुराने स्टांप वर्तमान में किसी सामान्य विक्रेता के पास होना बड़ी बात है। ऐसे में इस बात की आशंका को बल मिल रहा है कि देहरादून में ही पुराने स्टांप पेपर की ब्लैक मार्केटिंग करने वाले लोग मौजूद हैं।
पुलिस के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसमें कोई गिरोह सहारनपुर का भी हो सकता है। क्योंकि ज्यादातर दस्तावेज अब तक सहारनपुर के रिकॉर्ड रूम में ही रखे हुए थे। अभी तक देहरादून या आसपास के क्षेत्रों में इतने बड़े पैमाने पर पुराने स्टांप के इस्तेमाल के मामले सामने नहीं आए थे। केवल शपथपत्र विशेष बनाने के लिए पुराने स्टांप के इस्तेमाल होने के मामले सामने आते रहे हैं।