नेचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए GMVN शुरू करेगा बर्ड वाचिंग

जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) की ओर से प्राकृतिक पर्यटन के क्षेत्र में बर्ड वाचिंग के लिए देशभर से बर्ड वाचर्स को बुलाया जाएगा। इससे राज्य बर्ड वाचिंग के क्षेत्र में अलग पहचान बनाएगा। बर्ड स्पाटिंग साइट्स प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाएंगे।

बर्ड वाचर्स की राज्य में सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निगम ही लेगा। जीएमवीएन की ओर से हाल ही में इसको लेकर दिल्ली में एक समिट का भी आयोजन किया गया था। इसमें विभिन्न राज्यों के टूर आपरेटरों, बर्ड वाचर्स, पर्यावरणविदों, वन्यजीव फोटोग्राफरों आदि को उत्तराखंड में बर्ड वाचिंग की संभावनाओं के संबंध में जानकारी दी गई।
जीएमवीएन की ओर से सभी बर्ड वाचर्स को राज्य में पक्षियों की प्रजातियों और उनके पाए जाने वाले क्षेत्रों आदि को चिह्नित कर लिया गया है। साथ ही सीमित संख्या वाले पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। बताया कि राज्य में 700 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से कई ऐसी प्रजातियां हैं, जिन्हें सिर्फ उत्तराखंड में ही देखा जा सकता है।

 

राज्य के गढ़वाल मंडल में विभिन्न जिलों में निगम की ओर से पक्षियों के स्थानों को चिह्नित कर लिया गया है। ये ऐसे स्थान हैं जहां बर्ड वाचर एक समय पर पाए जाने वाले पक्षियों की प्रजातियों व उनकी गतिविधियों को देख पाएंगे। इसमें आसन कंजर्वेशन रिजर्व, धनोल्टी, कौड़याल, लैंसडौन, तिलवाड़ा, ओली, चोपता, झिलमिल झील आदि स्थलों को चिह्नित किया गया है। राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा झिलमिल लेक राज्य का दूसरा कंजर्वेशन रिजर्व है। यहां बर्ड वाचर पूरे वर्ष पक्षियों की प्रजातियों को देख सकेंगे और उसके बारे में अध्ययन कर सेकेंगे।